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Huawei SINQ: LLMs को क्वांटाइज करने की नई एप्रोच!

 राम राम मित्रों! अपने स्मार्टफोन में कोई AI असिस्टेंट इस्तेमाल करते समय क्या आपने कभी महसूस किया है कि वह बहुत धीमा काम कर रहा है? या फिर आपके लैपटॉप में कोई एडवांस्ड AI मॉडल चलाने की कोशिश करते समय मेमोरी की कमी के चलते ऐप क्रैश हो जाता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। आज AI दुनिया की सबसे बड़ी समस्या यही है कि शक्तिशाली मॉडल्स इतने बड़े हो चुके हैं कि उन्हें चलाना आम कंप्यूटर्स या लैपटॉप्स के लिए मुश्किल हो गया है।

Huawei SINQ Research, a new technique for quantization of LLMs hindi news

पर अब Huawei Research ने इस समस्या का एक शानदार समाधान ढूंढ निकाला है। स्विट्जरलैंड स्थित उनकी कंप्यूटिंग सिस्टम्स लैब ने हाल ही में SINQ नामक एक ओपन-सोर्स तकनीक पेश की है, जो AI मॉडल्स को बिना उनकी क्षमता प्रभावित किए छोटा करने में मदद करती है। सबसे अच्छी बात? यह तकनीक पूरी तरह ओपन सोर्स है और Apache 2.0 लाइसेंस के तहत उपलब्ध है, यानी कोई भी इंडस्ट्री, रिसर्चर या डेवलपर इसे व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल कर सकता है।

क्वांटाइजेशन क्या है और यह हमारे लिए क्यों मायने रखता है?

सरल शब्दों में कहें तो, क्वांटाइजेशन AI मॉडल्स को कंप्रेस करने की एक प्रक्रिया है। जब कोई AI मॉडल बनाया जाता है, तो उसके अंदर लाखों-करोड़ों पैरामीटर्स (weights) होते हैं जो आमतौर पर 32-बिट या 16-बिट फ्लोटिंग पॉइंट नंबर्स के रूप में स्टोर रहते हैं। क्वांटाइजेशन इन्हें 4-बिट या 8-बिट जैसे कम प्रिसिजन वाले फॉर्मेट में बदल देता है।

इससे क्या फायदा होता है? एक उदाहरण से समझते हैं:

  • Qwen3-14B जैसा मॉडल, जिसे पहले शायद 28GB GPU मेमोरी(VRAM) की जरूरत पड़ती थी, SINQ के बाद सिर्फ 7GB में भी चल सकता है।
  • DeepSeek-V2.5-236B जैसा विशालकाय मॉडल, जिसे आमतौर पर 60GB से अधिक मेमोरी की आवश्यकता होती है, SINQ क्वांटाइजेशन के बाद लगभग 15GB मेमोरी में फिट हो सकता है।

इसका मतलब है कि अब इन शक्तिशाली मॉडल्स को NVIDIA RTX 4090 जैसे कंज्यूमर-ग्रेड GPU पर चलाया जा सकता है, बजाय A100 या H100 जैसे महंगे एंटरप्राइज GPU के, जिनकी कीमत $30,000 से अधिक हो सकती है।

SINQ क्या है और यह पहले के तरीकों से कितना अलग है?

SINQ का मतलब है Sinkhorn-Normalized Quantization। यह एक कैलिब्रेशन-फ्री और ट्रेनिंग-फ्री क्वांटाइजेशन तकनीक है, जिसे Huawei की Zurich रिसर्च लैब में विकसित किया गया है।

पारंपरिक क्वांटाइजेशन तरीकों में क्या समस्या थी?

जब हम किसी मैट्रिक्स (AI मॉडल के वेट) को कम प्रिसिजन में बदलते हैं, तो उसमें कुछ आउटलायर्स (बहुत बड़े या बहुत छोटे मान) होते हैं। इन आउटलायर्स की वजह से पूरी रो या कॉलम के वेट में क्वांटाइजेशन एरर आ जाता है। पुराने तरीकों में हर रो या हर कॉलम के लिए एक ही स्केल फैक्टर इस्तेमाल होता था, जिससे आउटलायर्स की वजह से पूरे सेक्शन में एरर फैल जाता था।

SINQ इस समस्या को दो इनोवेटिव तरीकों से हल करता है:

1. ड्यूल-एक्सिस स्केलिंग (Dual-Axis Scaling)

SINQ में हर मैट्रिक्स के लिए दो अलग-अलग स्केलिंग वेक्टर इस्तेमाल होते हैं - एक rows के लिए और दूसरा columns के लिए। इससे क्या फायदा होता है? अगर किसी मैट्रिक्स में कोई आउटलायर है, तो अब हम उसके प्रभाव को rows और columns दोनों में बैलेंस कर सकते हैं। एक उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिए किसी मैट्रिक्स की row 3, column 5 पर एक बहुत बड़ा मान (आउटलायर) है। पुराने तरीके में:

  • या तो पूरी row 3 को बड़े स्केल फैक्टर से स्केल करना पड़ता, जिससे row के बाकी वेट में एरर आ जाता
  • या फिर पूरे column 5 को बड़े स्केल फैक्टर से स्केल करना पड़ता, जिससे column के बाकी वेट में एरर आ जाता

SINQ के नए तरीके में:

  • हम row 3 के स्केल फैक्टर को थोड़ा बढ़ा सकते हैं और column 5 के स्केल फैक्टर को थोड़ा घटा सकते हैं
  • इससे आउटलायर का प्रभाव बैलेंस हो जाता है और कुल मिलाकर एरर कम होता है


2. सिंखॉर्न-नॉर्मलाइजेशन (Sinkhorn Normalization)

SINQ एक मैट्रिक्स इम्बैलेंस नामक नई मेट्रिक का इस्तेमाल करता है, जो बताती है कि कोई मैट्रिक्स क्वांटाइजेशन के लिए कितना आसान या मुश्किल होगा। इसे कम करने के लिए यह Sinkhorn-Knopp एल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है, जो rows और columns के standard deviation को नॉर्मलाइज करता है।

SINQ के रीयल-वर्ल्ड फायदे: नंबर्स और फैक्ट्स

स्पीड और एफिशिएंसी

  • Qwen3-14B जैसे मॉडल को SINQ सिर्फ ~21 सेकंड में क्वांटाइज कर सकता है।
  • DeepSeek-V2.5-236B जैसे विशाल मॉडल को भी यह मात्र ~5 मिनट में क्वांटाइज कर देता है।
  • सभी कैलकुलेशन सिर्फ एक सिंगल GPU पर किए जा सकते हैं।


मेमोरी और कॉस्ट सेविंग

SINQ इस्तेमाल करने से विभिन्न आकार के मॉडल्स की मेमोरी जरूरतों में 60-75% तक की कमी आती है। इसके व्यावसायिक फायदों को समझने के लिए नीचे दी गई तुलना देखें:

हार्डवेयर प्रकार अनुमानित लागत SINQ के बिना उपयोग SINQ के साथ उपयोग
NVIDIA RTX 4090 (24GB) ~$1,600 केवल छोटे मॉडल Qwen3-14B तक के मॉडल
NVIDIA A100 (80GB) ~$19,000 मध्यम आकार के मॉडल अब जरूरत नहीं
NVIDIA H100 >$30,000 बड़े मॉडल अब जरूरत नहीं

क्लाउड कंप्यूटिंग की बात करें तो A100-based इंस्टेंस की कीमत आमतौर पर $3–4.50 प्रति घंटा होती है, जबकि RTX 4090 जैसे 24 GB GPU वाले इंस्टेंस $1–1.50 प्रति घंटा पर उपलब्ध हैं। लंबे समय तक इन्फरेंस वर्कलोड चलाने पर यह अंतर हजारों डॉलर की बचत कर सकता है।

परफॉर्मेंस में सुधार

SINQ सिर्फ मेमोरी की बचत नहीं करता, बल्कि मॉडल के परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाए रखता है। रिसर्च के रिजल्ट दिखाते हैं कि WikiText2 और C4 जैसे बेंचमार्क पर, SINQ पारंपरिक कैलिब्रेशन-फ्री क्वांटाइजेशन तरीकों की तुलना में पर्प्लेक्सिटी (भाषा मॉडल की गुणवत्ता का माप) को काफी सुधारता है।

SINQ टेक्नोलॉजी की तकनीकी समझ (थोड़ी डीप!)

अगर आप तकनीकी रूप से समझना चाहते हैं कि SINQ वास्तव में कैसे काम करता है, तो यह समझना जरूरी है कि यह मैट्रिक्स इम्बैलेंस नामक एक नई प्रॉक्सी मेट्रिक को कम करता है।

मैट्रिक्स इम्बैलेंस को इस फॉर्मूले से परिभाषित किया गया है:

I(W) = [maxi (W.std(dim=i).max())] / [mini (W.std(dim=i).min())]


सरल शब्दों में, यह मैट्रिक्स की सभी rows और columns के standard deviation(मानक विचलन) के maximum और minimum value का ratio है। जब यह रेश्यो कम होता है, तो मैट्रिक्स को क्वांटाइज करना आसान होता है।

SINQ इस इम्बैलेंस को कम करने के लिए एक इटरेटिव एल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है, जो बारी-बारी से rows और columns को उनके standard deviation से divide करता है। इस प्रोसेस में लॉग-डोमेन में स्केल फैक्टर्स जोड़े जाते हैं ताकि न्यूमेरिकल स्टेबिलिटी बनी रहे।

SINQ को कैसे आजमाएं? प्रैक्टिकल इंप्लीमेंटेशन

सबसे अच्छी बात यह है कि SINQ को इस्तेमाल करना बेहद आसान है। Huawei Research ने इसका पूरा कोड GitHub और Hugging Face पर Apache 2.0 लाइसेंस के तहत उपलब्ध करा दिया है।
यह रिपॉजिटरी आपको अपने मॉडल्स को SINQ के साथ क्वांटाइज करने के लिए जरूरी सभी कोड और निर्देश प्रदान करती है। चूंकि यह एक प्लग-एंड-प्ले सॉल्यूशन है, इसलिए आपको इसे अपने मौजूदा वर्कफ्लो में इंटीग्रेट करने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी।

SINQ के फीचर्स की तुलना अन्य क्वांटाइजेशन तकनीकों से करें तो पता चलता है कि यह कई मायनों में बेहतर है:
फीचर पारंपरिक तरीके SINQ
कैलिब्रेशन जरूरत अक्सर जरूरी बिल्कुल नहीं
एक्सटर्नल डेटा की जरूरत कई बार जरूरी बिल्कुल नहीं
लेयर्स के बीच इंटरैक्शन कई बार जरूरी बिल्कुल नहीं
नए आर्किटेक्चर पर एप्लाई करना मुश्किल आसान
स्पीड धीमी बहुत तेज

निष्कर्ष: AI का डेमोक्रेटाइजेशन

Huawei Research की SINQ तकनीक सिर्फ एक तकनीकी सुधार नहीं है, बल्कि AI के क्षेत्र में एक क्रांतिकारक बदलाव का संकेत है। इसके तीन मुख्य निहितार्थ हैं:
  1. AI की पहुंच का विस्तार: अब छोटे संस्थान, रिसर्चर और यहां तक कि इंडिविजुअल डेवलपर्स भी शक्तिशाली LLMs का इस्तेमाल कर सकते हैं, बिना महंगे हार्डवेयर के निवेश के।
  2. तकनीकी लोकतंत्रीकरण: SINQ का ओपन-सोर्स और फ्री होना इस बात का उदाहरण है कि कैसे तकनीकी प्रगति सबके लिए फायदेमंद हो सकती है।
  3. भविष्य की दिशा: SINQ जैसी तकनीकें AI के भविष्य को परिभाषित कर रही हैं - जहां एफिशिएंसी और एक्सेसिबिलिटी दोनों पर समान ध्यान दिया जाएगा।
Huawei की Zurich रिसर्च लैब में 70 से अधिक शोधकर्ता काम कर रहे हैं, जिनमें 50+ PhD होल्डर शामिल हैं। यह टीम पिछले पांच साल में CHF 150 मिलियन से अधिक की फंडिंग प्राप्त कर चुकी है और हर साल 100+ पीयर-रिव्यूड रिसर्च पेपर्स पब्लिश करती है। SINQ इसी गहन शोध का परिणाम है।

अगर आप AI डेवलपर, रिसर्चर या सिर्फ AI टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले शख्स हैं, तो SINQ आपकी टूलकिट का जरूरी हिस्सा बनने वाला है। इसकी स्पीड, सादगी और प्रभावशीलता इसे भविष्य की क्वांटाइजेशन तकनीकों के लिए नया मानक स्थापित करती है।

क्या आपने भी SINQ को आजमाया है? अपने अनुभव कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करें!

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