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क्यों है गूगल AI की दुनिया का बादशाह?

 राम राम मित्रों! AI की दुनिया में आए दिन कोई न कोई तूफान आता रहता है। कोई नई कंपनी सुर्खियाँ बटोरती है, कोई नया मॉडल दुनिया को हैरान कर देता है। लेकिन एक पैटर्न आपको साफ-साफ दिखेगा: AI की दुनिया में हाइप कोई भी क्रिएट करे, लेकिन उसे सेटल करने(स्थापित और जन-जन तक पहुँचाने) का काम गूगल ही करता है।

Gemini in Chrome hindi

हमारे उत्तर भारत की एक मशहूर कहावत है - “एक अकेले सबको पेले” (the single one conquers all)। मुझे तो लगता है, AI की फील्ड में यह कहावत गूगल पर पूरी तरह से सटीक बैठती है।

लेकिन सवाल यह है कि गूगल ऐसा कैसे कर पा रहा है? क्या इसकी ताकत सिर्फ उसके पैसे में है? या कोई और राज़ है? चलिए, इस कहानी को विस्तार से समझते हैं।

गूगल का पहाड़ जैसे इकोसिस्टम और समुन्द्र जैसे यूजर्बेस

आइए इस बात को आंकड़ों से समझने का प्रयास करते हैं:

  • सर्च: दुनिया का 90%+ सर्च ट्रैफिक। गूगल के अलावा सर्च इंजन्स तो और भी हैं, पर सिर्फ नाम के!
  • एंड्रॉयड: दुनिया के 70%+ स्मार्टफोन्स का ऑपरेटिंग सिस्टम। गूगल का सबसे बड़ा एडवांटेज!
  • YouTube: दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म। हैंड्स-डाउन!
  • Gmail: अरबों यूजर्स का ईमेल अकाउंट। अब तो ईमेल का मतलब ही जीमेल हो चुका है!
  • Google Maps: दुनिया का सबसे विश्वसनीय नक्शा। ये मैप का पर्यायवाची बन चुका है!
  • Google Chrome: दुनिया का सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउजर। ये सबकी जेब में 24x7 रहता है!
  • Hardware (Pixel Devices) और Chips (Tensor, Willow): अपना खुद का हार्डवेयर और AI चिप्स। क्वांटम से लेकर मोबाइल तक!

ये सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक सर्विस का डेटा दूसरी सर्विस को स्मार्ट बनाता है। और अब, AI (जेमिनी) को इस पूरे इकोसिस्टम का नर्वस सिस्टम बना दिया गया है। यही गूगल की सबसे बड़ी ताकत है। दूसरी कंपनियों के लिए इस इकोसिस्टम का मुकाबला करना अब लगभग नामुमकिन सा हो गया है।

अब, चलिए कुछ ठोस उदाहरणों से समझते हैं कि गूगल कैसे हर मोर्चे पर अपनी धाक जमा रहा है।

एग्जाम्पल 1: AI पावर्ड सर्च इंजन्स की हवाबाजी के बीच गूगल का 'Num=100' अपडेट

 SearchGPT और Perplexity जैसे प्लेटफॉर्म्स ने दावा किया और मार्केट में हवा बनाई कि वे गूगल को चुनौती देंगे। यूजर सीधे अपना सवाल पूछेगा और AI सीधा जवाब देगा। सर्च रिजल्ट्स के पन्नों को पलटने की जरूरत नहीं होगी।

इनकी रणनीति क्या थी? इस कम्पनियों के पास इनका खुद का कोई वेब-इंडेक्स नहीं है। इसलिए, उन्होंने गूगल सर्च की ही API का इस्तेमाल किया। मतलब, वे गूगल से पूछते, "इस सवाल के टॉप 100 रिजल्ट दो," और फिर उन 100 रिजल्ट्स को AI के जरिए समेटकर यूजर को परोस देते। यानी ये एक तरह से गूगल के ही सर्च रिजल्ट्स को यूज़ कर रहे।

गूगल ने इसका जवाब कैसे दिया?

गूगल नेअपनी API की एक सेटिंग बदल दी। उसने num पैरामीटर को अपडेट किया। पहले एक API कॉल में 100 रिजल्ट्स मिलते थे, अब सिर्फ 10 मिलते हैं।

इसके क्या मायने हैं?

  • कॉस्ट का बोझ: अब एक ही जवाब के लिए AI सर्च इंजन्स को 10 गुना ज्यादा API कॉल्स करनी पड़ेंगी। इससे उनकी लागत आसमान छूने लगेगी।
  • क्वालिटी पर असर: सिर्फ 10 रिजल्ट्स के आधार पर दिया गया जवाब, 100 रिजल्ट्स के आधार पर दिए गए जवाब जितना व्यापक और गहरा कैसे हो सकता है?

इसके साथ ही, गूगल ने खुद अपने सर्च में AI Overviews और AI Mode जैसे फीचर्स लॉन्च कर दिए। यानी, वही काम जो SearchGPT और Perplexity कर रहे थे, गूगल अब खुद अपने विशालकाय प्लेटफॉर्म पर और भी बेहतर तरीके से करने लगा। उसने मार्केट को साफ संदेश दे दिया: "AI या बिना AI, सर्च का राजा तो गूगल ही रहेगा।"

हालांकि यहां सिक्के का दूसरा पहलू भी है, गूगल के AI Overviews पर पब्लिशर्स यह आरोप लगा रहे हैं कि इससे उनकी वेबसाइट्स पर ट्रैफिक कम हो रहा है। साथ ही, AI द्वारा दिए गए कई गलत जवाबों ने सर्च क्वालिटी पर सवाल खड़े किए हैं। लेकिन गूगल लगातार इनमें सुधार कर रहा है।

एग्जाम्पल 2: इमेज जनरेशन की रेस - जहाँ 'Nano Banana' ने मचाई धूम

AI इमेज जनरेशन की दुनिया पर Midjourney और OpenAI की DALL-E का दबदबा था। फिर, OpenAI ने GPT-4o लॉन्च किया और उसके साथ आया Ghibli-style इमेज जनरेशन का ट्रेंड। इंटरनेट पर हर कोई Ghibli-style की अपनी तस्वीरें बनवा रहा था। OpenAI की जमकर वाहवाही हुई।

लेकिन गूगल ने क्या किया?

अब गूगल लॉन्च करता है अपना एक AI Image Editor, "Nano Banana"। अब तक तो आप सभी इससे वाकिफ होंगे, फिर भी, ये एक ऐसा इमेज मॉडल है, जिसने अपनी रियलिस्टिक इमेज क्वालिटी से पूरी दुनिया को चौका दिया, और ये सिर्फ कहने वाली बात नहीं, इस मॉडल के द्वारा बनाई नई इमेजेज इतनी ओरिजिनल हैं कि कोई भी चौक जाए! आज पूरे इंटरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप स्टेटस हर जगह नैनो बनाना से बनाई गई इमेजेज ही छाई हैं। गूगल ने जो इमेजेज जेनरेट कीं, वो इतनी डिटेल्ड, क्रिएटिव और विजुअलली आकर्षक थीं कि पूरा इंटरनेट #NanoBanana के पीछे पागल हो गया।

गूगल ने नैनो बनाना को Gemini app(flash 2.5 के अंदर) और Google AI Studio में यूजर्स को फ्री में अवेलेबल करा दिया, बस फिर क्या था अब हर तरफ इसी की चर्चा है!

क्या हुआ असर?

  • Ghibli ट्रेंड धीरे-धीरे फीका पड़ गया।
  • AI इमेज जनरेशन की बात होते ही अब Nano Banana का उदाहरण दिया जाने लगा।
  • गूगल ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ टेक्निकल रूप से मजबूत नहीं, बल्कि क्रिएटिविटी में भी अव्वल है।

इस एक मूव ने AI इमेज जनरेशन की रेस में गूगल को एक बहुत मजबूत पोजिशन में ला खड़ा किया।

एग्जाम्पल 3: ब्राउजरों की लड़ाई - जहाँ जेमिनी की ताकत पाकर क्रोम बनकर बना 'एजेंटिक ब्राउज़र'

यह शायद सबसे दिलचस्प मोर्चा है। AI का सपना है एक "एजेंट" बनने का, जो आपके लिए काम करे। Perplexity ने इसकी शुरुआत अपने Comet ब्राउज़र से की। उसने चर्चा तो बटोरी, वैसे वो मजाक तो आपने सुना ही होगा जिसमें Perplexity ने गूगल को ऑफर दिया है कि वो क्रोम को $34.5 बिलियन में उसे बेच सकता है, अरे यार, मज़ाक इसलिए क्योंकि Perplexity की खुद की टोटल वैल्यू $18 बिलियन की है। अब आप सोच रहे होंगे कि फिर Perplexity ने ऐसा किया ही क्यों? मार्केटिंग! खबरों में बने रहने के लिए। 

खैर, लेकिन अब जो गूगल ने किया है उससे AI ब्राउजिंग की दुनिया में एक भूचाल आ गया है।

गूगल ने अपने और दुनिया के सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र, Google Chrome में सीधे जेमिनी को इंटीग्रेट कर दिया है। यह कोई छोटा-मोटा अपडेट नहीं है। यह ब्राउजिंग की परिभाषा ही बदल देने वाला कदम है।

चलिए, इन नए फीचर्स पर एक इंटरैक्टिव नजर डालते हैं:

1. क्रोम के अंदर ही जैमिनी: अब क्रोम के टॉप राइट कोने में एक जेमिनी का बटन होगा। क्लिक करो, और चैटबॉट विंडो खुल जाएगी।
वर्तमान टैब के साथ इंटरैक्शन (सबसे शक्तिशाली फीचर): आप जिस वेबपेज पर हैं, उसके बारे में जेमिनी से सवाल पूछ सकते हैं।

  •    उदाहरण: आप Gmail में कोई ईमेल पढ़ रहे हैं जिसमें किराने का सामान की लिस्ट है। आप जेमिनी से कह सकते हैं, "इस ईमेल में दी गई सारी चीजें Flipkart से खरीद लो।" जेमिनी ईमेल को स्कैन करेगा, Flipkart पर जाएगा, सारी चीजें ढूंढेगा और आपकी तरफ से खरीदारी करने लगेगा! यही है एजेंटिक ब्राउजिंग।
2. ब्राउजिंग हिस्ट्री को स्मार्ट तरीके से खंगालना: आप जेमिनी से पूछ सकते हैं, "पिछले हफ्ते मैं टीम बिल्डिंग एक्टिविटीज के लिए कौन-कौन सी वेबसाइट्स देख रहा था?" जेमिनी आपकी हिस्ट्री में से सारे रिलेवंट रिजल्ट निकालकर दे देगा।
3. YouTube वीडियो का सारांश: एक घंटे के YouTube वीडियो को पूरा देखने की जरूरत नहीं। जेमिनी से कहो, "इस वीडियो का सारांश दो।"
4. URL बार से सीधी AI सर्च: अब google.com पर जाने की जरूरत नहीं। आप सीधे Chrome के URL बार में अपना सवाल टाइप करें और "AI Mode" पर क्लिक करें, और आपको AI जेनरेटेड रिजल्ट्स मिलने लगेंगे।

कल्पना कीजिए: आप एक ट्रैवल ब्लॉग पढ़ रहे हैं। जेमिनी से पूछिए, "इस ब्लॉग में बताए गए सभी होटल्स की कीमतों की एक लिस्ट बनाओ और कैलेंडर में उन दिनों को मार्क करो जब यह सस्ते हैं।" क्या यह आपके काम आएगा? हाँ या ना? कमेंट करके जरूर बताएं।

लेकिन, यहाँ दो बड़े सवाल भी खड़े होते हैं:

  1. परफॉर्मेंस का सवाल: हम सभी जानते हैं कि Chrome एक रिसोर्स हॉग ब्राउज़र है। यह Android फोन में 2GB तक की जगह ले लेता है और RAM की खूब खाता है। ऐसे में, जेमिनी के भारी-भरकम AI मॉडल के इंटीग्रेशन के बाद क्या Chrome और हमारे फोन/लैपटॉप की परफॉर्मेंस बर्बाद नहीं हो जाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
  2. प्राइवेसी का बड़ा सवाल: क्या आप चाहेंगे कि एक AI आपकी पूरी ब्राउजिंग हिस्ट्री देखे? आपके ईमेल स्कैन करे? आपकी तरफ से खरीदारी करे? भले ही Incognito Mode हो, लेकिन क्या यह हमारी प्राइवेसी में एक बहुत बड़ा दखल नहीं है? यह एक गंभीर बहस का विषय है।

फिलहाल, ये फीचर्स US में Mac और Windows यूजर्स के लिए रोल आउट किए जा रहे हैं। भारत में इनके आने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन आप VPN के जरिए इन्हें ट्राई कर सकते हैं।

एग्जाम्पल 4: कंटेंट डिस्कवरी - क्या ChatGPT का 'Pulse', Google Discover को टक्कर दे पाएगा?

हाल ही में OpenAI ने ChatGPT के लिए एक नया फीचर Pulse पेश किया है। यह एक ऐसा फीचर है जो आपकी रुचियों के आधार पर न्यूज और कंटेंट सुझाता है। देखने में तो यह एकदम Google Discover (जो आपके Android फोन की होम स्क्रीन पर दिखता है) की नकल लगता है।

तो फर्क क्या है?

  • Google Discover पहले से ही अरबों एंड्रॉयड यूजर्स की होम स्क्रीन पर मौजूद है। उसे आपके सर्च हिस्ट्री, लोकेशन, और YouTube वॉच हिस्ट्री का पहले से डेटा है। यह बेहद पर्सनलाइज्ड है।
  • ChatGPT Pulse एक नई शुरुआत है। यह प्रॉमिसिंग जरूर लगता है, क्योंकि OpenAI के पास भी अब बड़ा यूजरबेस है।


मेरी निजी राय:

मैं नई टेक्नोलॉजी और हेल्दी कॉम्पिटिशन का समर्थक हूँ। Pulse प्रॉमिसिंग लगता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या Pulse, Google Discover जैसे परिपक्व और डेटा-समृद्ध प्लेटफॉर्म को वास्तविक चुनौती दे पाएगा? या यह गूगल डिस्कवर के सामने सिर्फ एक "बच्चों वाली टॉफी" बनकर रह जाएगा (joke समझ आया🤣)? यह तो वक्त ही बताएगा।

एक्स्ट्रा पॉइंट्स:

AI रोबोटिक्स में गूगल कर रहा लीड: रिसेंटली लॉन्च किए जबरदस्त जैमिनी रोबोटिक्स 1.5 और ER1.5 मॉडल्स। 

जल्द ही आने वाला है Gemini 3.0: सोशल मीडिया पर लोगों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि Gemini 3.0 अब तक के सभी SOTA AI मॉडल्स के मुकाबले बेहतर होने वाला है, और X पर यूजर्स Google AI Studio में कुछ तिकड़म लगा कर (क्योंकि गूगल ऑफिशियली ऐसे किसी मैथड को बैक नहीं करता) Gemini 3.0 के चेकपॉइंट को AB-Testing के माध्यम से यूज़ करने का दावा कर रहे हैं और यक़ीन मानिए, रिजल्ट्स वाकई में हैरान करने वाले हैं। कुलमिला कर कहा जाए तो साही AI एंथूजियास्ट्स किसी एक चीज का बेसब्री से इंतजार है तो वो है Gemini 3.0!

AI Mode में Agentic पावर: अब आप AI Mode में सिर्फ अपनी क्वेरी ही नहीं पूछ पाएंगे बल्कि, वही पर अपने आम भी कर सकेंगे, जैसे होटल बुक करना, ट्रेन टिकट कर रिजर्वेशन कराना, etc।

निष्कर्ष: तो क्या गूगल का AI पर एकछत्र राज होगा?

आपके दिमाग में यह सवाल जरूर आ रहा होगा। जवाब आसान नहीं है।

  • हाँ, गूगल का दबदबा बना रहेगा, क्योंकि उसके पास जो इकोसिस्टम, डेटा और यूजर रीच है, उसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। वह AI को हर एक प्रोडक्ट में बिल्कुल सहज तरीके से घोल रहा है।
  • नहीं, पूरी तरह एकछत्र राज नहीं होगा, क्योंकि AI की दुनिया अभी शुरुआती दौर में है। OpenAI, Anthropic, Meta जैसी कंपनियाँ तेजी से नवाचार कर रही हैं। और कई बार, एक छोटी कंपनी एक बड़ी खोज करके पूरा गेम बदल सकती है।

मेरी सलाह दूसरी कंपनियों को यही होगी: गूगल बनने की जिद छोड़कर, कुछ फ्रेश और क्रिएटिव करो। किसी नई प्रॉब्लम को सॉल्व करो। अगर आपका आइडिया अच्छा है, तो गूगल खुद आपको खरीद लेगा या आपके साथ पार्टनरशन करेगा।

अंत में, हम यूजर्स के लिए यही अच्छी खबर है। जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, जिसका मतलब है बेहतरीन प्रोडक्ट्स, नए-नए फीचर्स और हमारे जीवन को आसान बनाने वाली तकनीकें। बस, प्राइवेसी के मामले में हमें थोड़ा और सजग रहने की जरूरत है।

तो आप क्या सोचते हैं? क्या गूगल AI की दुनिया का अकेला बादशाह बन जाएगा? या आपको लगता है कोई और कंपनी उसे टक्कर दे पाएगी? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर शेयर करें! और अगर यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे शेयर जरूर करें।

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